विचार्रों का आदान प्रदान

शब्दों के चक्रव्यूह को समझना एक कवि के लिए कुछ इस तरह से जरूरी है, की हर कविता कुछ वादों, इरादों और शब्दों के सुर ताल के मिश्रण के बिना अधूरी है

आयें है महान कवि हमारे भारत देश में कई , और आयेंगे आगे भी अभी,मगर एक महान कवि बनने के लिए जो नाम कमा गए उनके पद चिन्हों पर चलना बेहद जरूरी है

कविता चाहे वीर रस हो या श्रृंगार रस, या फिर प्रेम रस, बस हर रस के लिए शब्द रस को समझना जरूरी है

है ये मेरी रचना आपसे कुछ विचार्रों के आदान प्रदान के लिए, जो की आपके शब्दों के आगमन के बिना अधूरी है

Wednesday, March 30, 2011

This is how you feel when you do not get your desire fulfill

चाह


आकुल ह्रदय ने आज माँगा फिर वही अभिषेक हे


स्वप्न जो पूरे हुए ना, चाह जिनकी शेष है


नश्वर तिमिर का कलुष रूप, दारुण व्यथा का यह स्वरुप


दम तोडती पर्छैयाँ, रवि दे रहा निस्तेज धुप


चुपचाप रोता व्योम यों, कण कण धरा का होम ज्यों


पत्थर पिघलता मोम क्यों? विष घोलता सा सोम क्यों


स्वप्नों की काया के भवन का अब खंडहर अवशेष हे


स्वप्न जो पूरे हुए ना चाह जिनकी शेष हे