विचार्रों का आदान प्रदान

शब्दों के चक्रव्यूह को समझना एक कवि के लिए कुछ इस तरह से जरूरी है, की हर कविता कुछ वादों, इरादों और शब्दों के सुर ताल के मिश्रण के बिना अधूरी है

आयें है महान कवि हमारे भारत देश में कई , और आयेंगे आगे भी अभी,मगर एक महान कवि बनने के लिए जो नाम कमा गए उनके पद चिन्हों पर चलना बेहद जरूरी है

कविता चाहे वीर रस हो या श्रृंगार रस, या फिर प्रेम रस, बस हर रस के लिए शब्द रस को समझना जरूरी है

है ये मेरी रचना आपसे कुछ विचार्रों के आदान प्रदान के लिए, जो की आपके शब्दों के आगमन के बिना अधूरी है

Thursday, February 17, 2011

ऐ मेरे रब ...............

ऐ रब मेरे हो इश्क का कोई चेहरा तो मुझे भी दिखा जा
ऐ रब मेरे हो इश्क का कोई रंग तो मुझ पर भी चढ़ा जा
में तो अपने पिया के रंग में मतवाली हो गयी रे
है अगर ये ही इश्क तो मुझे भी ज़रा बता जा
कहते हैं लोग मुकमल जँहा हर किसी को नहीं मिलता
किसी को इश्क का दरिया मिलता है तो किसी को इश्क में तिनके का आसरा भी नहीं मिलता
में तो उनके दीदार भर से ही इश्क के दरिया में डूब जाती हूँ
ऐ मेरे रब है अगर ये ही मुकमल जहाँ तो सच कहूं कोई भी जहाँ इश्क के बिना मुकमल होही नहीं सकता


कहना चाहती हूँ में तुमसे कुछ आज
समझ सकते हो तो समझ जाओ दो लब्जो में मेरे अनकहे कुछ ज़ज्बात
ज़िन्दगी की बस एक तमन्ना थी की हमें भी कोई इश्क में डूबा जहाँ मिले
मगर आज तमन्ना है इस दिल को हर जन्म में तुम्हारे इश्क का ही आसरा मिले

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