विचार्रों का आदान प्रदान

शब्दों के चक्रव्यूह को समझना एक कवि के लिए कुछ इस तरह से जरूरी है, की हर कविता कुछ वादों, इरादों और शब्दों के सुर ताल के मिश्रण के बिना अधूरी है

आयें है महान कवि हमारे भारत देश में कई , और आयेंगे आगे भी अभी,मगर एक महान कवि बनने के लिए जो नाम कमा गए उनके पद चिन्हों पर चलना बेहद जरूरी है

कविता चाहे वीर रस हो या श्रृंगार रस, या फिर प्रेम रस, बस हर रस के लिए शब्द रस को समझना जरूरी है

है ये मेरी रचना आपसे कुछ विचार्रों के आदान प्रदान के लिए, जो की आपके शब्दों के आगमन के बिना अधूरी है

Monday, April 18, 2011

जीवन के सुर

जब गगन चूमता है धरती को
सावन  का रंग चढा देता है तब वो
जब रात ओढती है चाँदनी का पर्दा
तारों को अपने आँचल में सजा लेती है  तब वो
जब  नदी लपेटती है सागर की चादर
खुद को सागर मैं संजो लेती है  तब वो
जब  नेत्र  देखते है कोई सुन्दर द्रश्य
स्वयं को उस सुन्दर द्रश्य मैं रमा लेते हैं तब वो
जब कर्ण सुनते कोई प्रिय वचन
उन प्रिय शब्दों मैं विभोर हो जाते हैं तब वो
जब जिंदगी गाती है कोई सुर
तो  सारे सुरों को अपने राग मैं ढाल लेती है तब वो 
जब होता है जीवन का म्रत्यु से सामना
उसे नए जीवन की शुरुआत मान अपने अस्तित्व मैं मिला लेती है तब वो 







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