विचार्रों का आदान प्रदान

शब्दों के चक्रव्यूह को समझना एक कवि के लिए कुछ इस तरह से जरूरी है, की हर कविता कुछ वादों, इरादों और शब्दों के सुर ताल के मिश्रण के बिना अधूरी है

आयें है महान कवि हमारे भारत देश में कई , और आयेंगे आगे भी अभी,मगर एक महान कवि बनने के लिए जो नाम कमा गए उनके पद चिन्हों पर चलना बेहद जरूरी है

कविता चाहे वीर रस हो या श्रृंगार रस, या फिर प्रेम रस, बस हर रस के लिए शब्द रस को समझना जरूरी है

है ये मेरी रचना आपसे कुछ विचार्रों के आदान प्रदान के लिए, जो की आपके शब्दों के आगमन के बिना अधूरी है

Tuesday, May 24, 2011

ये जिंदगी आखिर क्या खोज़ती हैं ?

कई सवालों से भरी ये जिंदगी आखिर क्या खोजती हैं  ?
अंधेरों और उजालों से भरी ये जीवन की  डगर आखिर किसे  ढूँढती हैं  ?
क्यूँ ये आँखे कुछ खोने पर छलछला उठती हैं ?
क्यूँ ये आरज़ू मुश्किल डगर पर डगमगा उठती हैं ?
शायद ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब जिंदगी अंत तक ढूँढती हैं  
और कुछ इसी तरह  जिंदगी की हर डगर इक सवाल हमसे करती हैं ...

No comments:

Post a Comment